देहरादून का इतिहास, प्रमुख स्थल और धार्मिक महत्व

 



उत्तराखंड की राजधानी देहरादून न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता से भी भरपूर नगर है। हिमालय की गोद में बसी यह घाटी सदियों से सभ्यता और साधना का केंद्र रही है।


देहरादून की भौगोलिक स्थिति


देहरादून नगर मध्य और बाह्य हिमालय के बीच स्थित दून घाटी में बसा है। इसका आकार एक “दोने” या “द्रोण” जैसा दिखाई देता है, इसी कारण इसे “द्रोण घाटी” भी कहा जाता है।

1871 में देहरादून को जिला बनाया गया और इसे मेरठ मंडल में शामिल किया गया। बाद में 1975 में यह गढ़वाल मंडल में सम्मिलित हुआ।

9 दिसंबर 1998 को देहरादून की नगरपालिका को नगर निगम में उच्चीकृत किया गया।



 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि


वैदिक साहित्य के अनुसार, आर्यों से पहले इस भूमि पर असुर जाति के लोग निवास करते थे। महाभारत काल में आचार्य द्रोणाचार्य का आश्रम वर्तमान टपकेश्वर मंदिर के पास स्थित था। इसी वजह से इस घाटी को “द्रोण घाटी” कहा गया। सन् 1699 में गुरु रामराय पंजाब से यहाँ आए और एक गुरुद्वारा की स्थापना की। कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ “डेरा” डाला, जिसके कारण इस स्थान का नाम डेरा-दून पड़ा, जो आगे चलकर “देहरादून” कहलाया।
यह क्षेत्र 1804 तक गढ़वाल नरेशों के अधीन, 1804 से 1815 तक गोरखा शासन में, और फिर 1815 से स्वतंत्रता तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा।




देहरादून के प्रमुख पर्यटन स्थल


 1. टपकेश्वर महादेव मंदिर


शहर से लगभग 6 किमी दूर नदी के किनारे स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर प्राकृतिक गुफा में बना है। इसकी छत से लगातार जल की बूंदें टपकती रहती हैं, इसलिए इसका नाम “टपकेश्वर” पड़ा।


 2. गुच्चूपानी (Robber’s Cave)


देहरादून से करीब 8 किमी दूर पहाड़ों के बीच स्थित यह गुफाएँ स्थानीय रूप से गुच्चूपानी के नाम से जानी जाती हैं। यहाँ बहता झरना और ठंडा पानी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।


 3. मालसी डियर पार्क


मसूरी रोड पर स्थित यह एक छोटा सा जंतु उद्यान है जहाँ हिरण, मोर और कई प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं।


 4. सहस्त्रधारा


यह स्थान अपने गंधक युक्त झरनों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहाँ का पानी त्वचा रोगों में लाभकारी होता है। देहरादून से 14 किमी दूर यह एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है।


 5. राजाजी राष्ट्रीय उद्यान


1983 में स्थापित यह उद्यान लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहाँ हाथी, बाघ, तेंदुए और कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।


 धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल


 चार सिद्ध


देहरादून के चार प्रसिद्ध सिद्ध स्थान हैं — लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, माणक सिद्ध, और माड़ सिद्ध।

कहा जाता है कि यहाँ भगवान दत्तात्रेय के 84 सिद्धों में से चार ने तपस्या की थी।


 गुरु रामराय दरबार साहिब

देहरादून के केंद्र में स्थित यह गुरुद्वारा 1699 में गुरु रामराय द्वारा बनवाया गया था। हर साल यहाँ झंडा मेला बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।



 मसूरी – “पहाड़ों की रानी”

देहरादून से 35 किमी दूर मसूरी उत्तर भारत का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। 1825 में कैप्टन यंग ने इसकी खोज की थी। यहाँ से हिमालय की बर्फीली चोटियाँ, गनहिल, कैमल्स बैक रोड, कैम्पटी फॉल और लाल टिब्बा जैसे स्थल देखने लायक हैं। 1959 में दलाई लामा सबसे पहले यहीं भारत में ठहरे थे।



 ऋषिकेश – तपोभूमि और योग की राजधानी

देहरादून जिले का यह उप-नगर गंगा और चंद्रभागा नदी के संगम पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ रैभ्य ऋषि ने कठोर तपस्या की थी, इसलिए इसका नाम “ऋषिकेश” पड़ा। यह स्थान विश्वभर में योग और ध्यान के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।


मुख्य स्थल:

लक्ष्मण झूला – गंगा पर बना ऐतिहासिक पुल

त्रिवेणी घाट – शाम की आरती का दिव्य दृश्य

नीलकंठ महादेव मंदिर – भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर

शिवानंद आश्रम और मुनि की रेती – ध्यान और साधना के केंद्र

84 कुटिया (बीटल्स आश्रम) – जहाँ विदेशी साधक ध्यान करने आया करते थे



देहरादून केवल एक आधुनिक शहर नहीं, बल्कि यह इतिहास, अध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है।

यहाँ के मंदिर, गुफाएँ, झरने और हरी-भरी घाटियाँ न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती हैं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत बनाती हैं।


tazza Avalokan

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने