जिला मुख्यालय अल्मोड़ा से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित द्वाराहाट हिमालय की द्वारिका या मंदिरों की नगरी के नाम से जाना जाता है। इतिहास के पन्नों में द्वाराहाट को वैराटपट्टन तथा लखनपुर के नामों से जाना जाता है। द्वाराहाट कत्यूरी राजाओं के कला प्रेमी एवं धर्म निष्ठा का प्रतीक है।
द्वाराहाट का इतिहास
द्वाराहाट उत्तराखंड के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह कत्यूरी वंश के पतन के पश्चात उनके वंशज लखनपुर एवं भटकोट के कत्यूरी राजाओं की राजधानी रहा। भटकोट मे उनका दुर्ग था तथा द्वाराहाट में उनके मंदिर न्यायालय आदि थे ।उन्होंने 11वीं तथा 12वीं सदी में यहां 30 मंदिरों एवं 365 बावड़ियों का निर्माण करवाया था। वर्तमान समय में द्वाराहाट अल्मोड़ा जिले की एक विधानसभा हैं
द्वाराहाट मंदिर समूह
द्वाराहाट मंदिर में तीन समूह हैं कचहरी, मनिया और रतन देव। इस मंदिर समूह में सबसे बड़ा व उत्कृष्ट देवालय गूजर देव का मंदिर है । अन्य मंदिरों में बद्रीनाथ मंदिर, चाचेरी मंदिर तथा वन देवी का मंदिर है। वर्तमान समय में गूजर देव मंदिर ध्वस्त स्थिति में है, इस मंदिर को रोहेला लुटेरों का आक्रमण को भी झेलना पड़ा था।
द्वाराहाट की प्रसिद्ध मंदिर
1-दूनागिरी मंदिर
द्वाराहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दूनागिरी का मंदिर है
यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है, पुराणों के अनुसार दूनागिरी ही द्रोणाचल पर्वत है । इस मंदिर की स्थापना सन् 1183 में हुई थी, यह मंदिर वैष्णवी शक्तिपीठ है।
2-विभाण्डेश्वर मंदिर
द्वाराहाट से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित विभाण्डेश्वर मंदिर को स्थानीय लोग उत्तर काशी मानते हैं। इस मंदिर में स्याल्दे बिखौती का प्रसिद्ध मेला लगता है।


