नंदा देवी महोत्सव 2025: कुमाऊं का सबसे बड़ा सांस्कृतिक पर्व।


 

नंदा देवी महोत्सव कुमाऊं क्षेत्र के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह महोत्सव उत्तराखंड की संरक्षक और लोक आस्था की देवी नंदा देवी को समर्पित होता है। देवी को कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में शक्ति और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है।



कब और कहाँ मनाया जाता है?

तिथि: हर साल अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितंबर के पहले सप्ताह तक।

मुख्य तिथि: इस वर्ष नंदा अष्टमी 31 अगस्त 2025 को पड़ रही है।

स्थान: अल्मोड़ा (सबसे बड़ा और प्रसिद्ध मेला)

नैनीताल (झील किनारे धार्मिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम)साथ ही कुछ छोटे आयोजन बागेश्वर और आसपास के क्षेत्रों में भी होते हैं।


नंदा देवी कौन हैं?

कुमाऊं परंपरा में नंदा देवी को हिमालय की पुत्री और कुमाऊं की रक्षक देवी माना जाता है। लोकमान्यता है कि वे पर्वतराज हिमालय की बेटी और भगवान शिव की पत्नी पार्वती का ही स्वरूप हैं। नंदा देवी से जुड़ी कई लोककथाएँ और जागर परंपराएँ आज भी गांव-गांव में सुनाई जाती हैं।



इतिहास और महत्व

नंदा देवी महोत्सव का इतिहास लगभग साढ़े सात सौ वर्ष पुराना माना जाता है। इसका आरंभ चंद वंशीय राजाओं के समय हुआ था। अल्मोड़ा की बस्ती को बसाने वाले राजा कर्न सिंह चंद ने देवी नंदा के सम्मान में इस महोत्सव की नींव रखी। तब से यह परंपरा निरंतर जारी है।

इस महोत्सव का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह पर्व कुमाऊं की लोक आस्था, संस्कृति और सामूहिक उत्सव भावना का प्रतीक है।



महोत्सव के प्रमुख आकर्षण

1. भव्य जुलूस (Doli Yatra)

महोत्सव के दौरान देवी नंदा और सुनंदा की पवित्र प्रतिमाओं को पालकी (डोली) में सजाकर शहरभर में भव्य जुलूस निकाला जाता है। भक्तजन भजन, लोकगीत और नृत्य करते हुए इस यात्रा में शामिल होते हैं।


2. लोक संगीत और नृत्य
कुमाऊं का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य झोड़ा, चांचरी और लोकगीतों की प्रस्तुति ,ढोल-दमाऊ और रणसिंघे की गूंज पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देती है।

3. मेला और सांस्कृतिक गतिविधियाँ
अल्मोड़ा और नैनीताल में लगने वाला मेला हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पादों की दुकानें पारंपरिक व्यंजन (भट्ट की दाल, आलू गुटके, रस)
लोककला प्रदर्शन और झांकियां ।

4. धार्मिक अनुष्ठान
देवी की मूर्तियों का पूजन
विशेष हवन और आरती
स्त्रियों द्वारा कांगड़िया नृत्य और गीत।


अल्मोड़ा और नैनीताल का महत्व

अल्मोड़ा नंदा देवी महोत्सव – सबसे प्राचीन और विशाल आयोजन। यहां पूरे कुमाऊं से भक्त आते हैं।

नैनीताल नंदा देवी महोत्सव – नैनी झील किनारे धार्मिक आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जुलूस इसे विशेष बनाते हैं।


इस बार अल्मोड़ा और नैनीताल में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ इको-टूरिज्म और स्थानीय कलाकारों के प्रदर्शन पर विशेष जोर रहेगा।


नंदा देवी महोत्सव उत्तराखंड की जीवंत संस्कृति, लोक परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। अल्मोड़ा और नैनीताल में होने वाला यह आयोजन सिर्फ एक मेला नहीं बल्कि कुमाऊं की आत्मा है। अगर आप उत्तराखंड की सच्ची झलक देखना चाहते हैं, तो नंदा देवी महोत्सव 2025 में जरूर शामिल हों।


tazza Avalokan

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