उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंपा। इससे पहले, एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की, जहां वे भावुक होकर रो पड़े।
उन्होंने राज्य आंदोलन में अपने संघर्ष और योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके सदन में दिए गए बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जिससे वे आहत हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके शब्दों का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।
पिछले महीने के अंत में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान, प्रेमचंद अग्रवाल और विपक्षी विधायकों के बीच बहस हुई थी, जिसमें अग्रवाल ने पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों के बारे में टिप्पणी की थी। इस बयान के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया, और विभिन्न संगठनों एवं विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की। विवाद बढ़ने पर मंत्री ने माफी भी मांगी थी, लेकिन विरोध जारी रहने के कारण उन्हें अंततः इस्तीफा देना पड़ा।
प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रेस वार्ता में कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे भी राज्य आंदोलनकारी रहे हैं और उत्तराखंड के विकास के लिए समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा ऐसा माहौल बनाया गया, जिससे वे आहत हैं और इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं।
इस प्रकरण के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार सभी समुदायों के सम्मान और राज्य की एकता के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने जनता से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की।
प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे जनता की जीत बताया है, जबकि भाजपा ने इसे पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया का हिस्सा कहा है। आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में इस घटनाक्रम का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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