**दिल्ली में भूकंप: क्यों और कैसे हिली राजधानी? पूरी जानकारी**
17 फरवरी 2025 की सुबह, दिल्ली-एनसीआर के लोगों की नींद भूकंप के तेज झटकों से खुल गई। रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौला कुआं इलाके में जमीन से 5 किलोमीटर की गहराई पर था। यह घटना न सिर्फ डरावनी थी, बल्कि इसने दिल्ली की भूकंपीय संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए। आइए जानते हैं पूरा मामला।
**भूकंप का असर: लोगों के अनुभव और प्रतिक्रियाएं**
**तेज झटके और दहशत:**
लोगों ने बताया कि उनके बिस्तर, पंखे, और बर्तन हिलने लगे। कुछ को लगा जैसे कोई भारी वाहन इमारत के नीचे से गुजर रहा हो।
**घरों से बाहर भागे लोग:**
गाजियाबाद के अजय कुमार ने बताया कि उनका मकान "ट्रेन के डिब्बे की तरह" हिल गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने #Earthquake और #DelhiTremors के साथ अपने वीडियो और अनुभव शेयर किए।
**आपातकालीन प्रतिक्रिया:**
दिल्ली पुलिस ने लोगों से शांत रहने और डायल 112 पर संपर्क करने की अपील की।
**दिल्ली में भूकंप का केंद्र क्यों बना ?**
1. **भूगर्भीय संरचना:** दिल्ली हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट और दिल्ली-हरियाणा थ्रस्ट जैसी फॉल्ट लाइनों के नजदीक स्थित है। यहां टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट से भूकंपीय ऊर्जा निकलती है।
2. **सीस्मिक जोन-IV:** भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, दिल्ली उच्च जोखिम वाले जोन-IV में आती है, जहां 8-9 तीव्रता तक के भूकंप की आशंका रहती है।
3. **मानवजनित कारण:** अत्यधिक निर्माण, हाई-राइज इमारतों का दबाव, और भूजल दोहन से भूगर्भीय अस्थिरता बढ़ी है।
**विशेषज्ञों की राय: क्या है भविष्य का खतरा?**
**छोटे झटके चिंताजनक नहीं:**
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के निदेशक डॉ. ओपी मिश्रा के मुताबिक, 4.0 तीव्रता के भूकंप के बाद आमतौर पर 1.2 तीव्रता के आफ्टरशॉक आते हैं, जो प्राकृतिक स्थिरीकरण का हिस्सा हैं।
**बड़े भूकंप का जोखिम:**
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में 500 साल के चक्र में बड़े भूकंप आते हैं, और अगला झटका गंभीर हो सकता है।
**इमारतों की कमजोरी:**
दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंपरोधी मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, खासकर यमुना किनारे की बस्तियां।
**इतिहास में दिल्ली के भूकंप**
**2007 और 2024 के झटके:**
धौला कुआं में 2007 में 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था। 2024 में भी दिल्ली-एनसीआर ने अफगानिस्तान और चीन में आए भूकंपों के झटके महसूस किए।
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**हिमालय का प्रभाव:**
हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक गतिविधियों का असर दिल्ली तक पहुंचता है। 2023 में भी यहां भूकंप के झटके दर्ज किए गए थे।
**सावधानियां और तैयारी: क्या करें?**
**भूकंपरोधी निर्माण:**
सुप्रीम कोर्ट ने 100 से अधिक लोगों वाली इमारतों को भूकंपरोधी श्रेणी दर्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा।
**जनता के लिए सुझाव:**
भूकंप आने पर ऊंची इमारतों से दूर रहें, बिजली के खंभों से सावधान रहें, और आपातकालीन किट तैयार रखें।
**निष्कर्ष: सतर्कता ही बचाव है**
दिल्ली का भूगर्भीय ढांचा और बढ़ता शहरीकरण इसे भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्माण नीतियों में सुधार और जनजागरूकता से ही भविष्य के खतरों को कम किया जा सकता है। जैसा कि एक ट्विटर यूजर ने लिखा: *"दिल्ली वासियों को अब AQI, यमुना प्रदूषण और भूकंप—तीनों से लड़ना पड़ रहा है!"*।
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