उत्तराखंड के चमोली जिले के वांशा गांव में भगवान बंसी नारायण मंदिर स्थित है यह मंदिर विष्णु भगवान को समर्पित है। यह मंदिर पूरे साल में केवल एक दिन खुलने के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के कपाट केवल रक्षाबंधन के दिन 12 घंटों के लिए खोले जाते हैं, सूर्य अस्त के पश्चात मंदिर के कपाट पुनः बंद कर दिए जाते हैं। जिस दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं, उसे दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। लोग इस दिन भगवान बंसी नारायण की पूजा अर्चना करते हैं तथा आशीर्वाद लेते है ।
भगवान बंसी नारायण मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
1 लोक मान्यता है कि भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर पहुंचे थे। तब से देव ऋषि नारद मुनि यही भगवान विष्णु की 364 दिन आराधना करते हैं, और देवर्षि एक दिन के लिए कहीं चले जाते हैं तो उसी दिन मनुष्य यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं। और महिलाएं भगवान विष्णु को रक्षा बाधती हैं उनके भोग के लिए माखन ले जाती है।
2 एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से उनका द्वारपाल बनने का आग्रह किया था। भगवान ने आग्रह मान लिया और वह राजा बलि संग पाताल तक चले गए। कई दिनों तक जब माता लक्ष्मी को जब भगवान विष्णु कहीं नहीं मिले तो, उन्होंने नारद जी पूछा तो उन्होंने बताया कि प्रभु पाताल लोक में राजा बलि के साथ चले गए हैं। तो उनके कहने पर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त करने का आग्रह किया। जिसके बाद राजा बलि ,विष्णु जी के साथ इसी स्थान पर माता लक्ष्मी से मिले थे।
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