इगास: उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति का एक अनूठा उत्सव || उत्तराखंड का लोक पर्व इगास

🔻 उत्तराखंड का लोक पर्व इगास












उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद एकादशी को इगास यानी बूढ़ी दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। यह उत्तराखण्ड का एक प्रमुख लोक पर्व है। इस पर्व को उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।


इगास के दिन सुबह से ही घरों की साफ-सफाई और सजावट की जाती है। घरों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं। शाम को स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है।


🔻इगास पर्व का इतिहास


इगास पर्व का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है। इस पर्व की शुरुआत वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में हुई थी। 17वीं शताब्दी में, वीर भड़ माधो सिंह भंडारी तिब्बत की लड़ाई लड़ने गए थे। जब वे लड़ाई जीतकर लौटे, तो उन्होंने अपने घर आने की खुशी में इगास पर्व मनाया। इस दिन, उन्होंने घरों में दीपक जलाए और भैला मशाल घुमाकर पूरे क्षेत्र को रोशन किया। तब से, इगास पर्व उत्तराखंड में एक प्रमुख लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

इगास पर्व की मान्यताएं


🔻इगास पर्व की तीन प्रमुख मान्यताएं हैं:


• भगवान राम के अयोध्या लौटने की मान्यता: इस मान्यता के अनुसार, भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। इस दिन, लोग भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं और उनका स्वागत करते हैं।

• भगवान कृष्ण के उद्धव को गीता का उपदेश देने की मान्यता: इस मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण ने उद्धव को गीता का उपदेश इसी दिन दिया था। इस दिन, लोग भगवान कृष्ण और उद्धव की पूजा-अर्चना करते हैं।

• भगवान विष्णु के मत्स्या अवतार लेने की मान्यता: इस मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने मत्स्या अवतार इसी दिन लिया था। इस दिन, लोग भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।

🔻इगास पर्व के कार्यक्रम


इगास पर्व के अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर मेलों और उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में स्थानीय उत्पादों की बिक्री होती है और लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


🔻इगास पर्व के कुछ प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:


• घरों की सजावट: इगास पर्व के दिन, लोग अपने घरों की साफ-सफाई और सजावट करते हैं। घरों में दीपक जलाए जाते हैं और मीठे पकवान बनाए जाते हैं।

• भैला मशाल: इगास पर्व के दिन, लोग भैला मशाल घुमाते हैं। भैला एक प्रकार की मशाल होती है जिसे सूखी घास और गोबर से बनाया जाता है। भैला मशाल को घुमाने से लोगों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का प्रतीक माना जाता है।

• लोक नृत्य: इगास पर्व के दिन, ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोक नृत्य किया जाता है। लोक नृत्य लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं।

🔻इगास पर्व का महत्व :

इगास पर्व उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति का प्रतीक है। यह पर्व उत्तराखंड के लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। यह पर्व उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करता है।


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tazza Avalokan

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