मोस्टामानू मेला: उत्तराखंड का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक मेला ॥ मोस्टामानू मेला: पिथौरागढ़ जिले का एक महत्वपूर्ण आयोजन

 मोस्टामानू मेला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हर साल आयोजित होने वाला एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। यह मेला भगवान मोस्टा, जो एक लोक देवता हैं, के सम्मान में आयोजित किया जाता है। मेला आमतौर पर सितंबर के महीने में होता है और पांच दिनों तक चलता है।









2023 में, मोस्टामानू मेला 20 सितंबर से 24 सितंबर तक आयोजित किया गया था। मेले के पहले दिन, एक कलश यात्रा का आयोजन किया गया था। कलश यात्रा में, भक्त एक पवित्र कलश को मंदिर से लेकर मेले के मैदान तक ले जाते हैं। मेले के दूसरे दिन, भगवान मोस्टा की मूर्ति को मंदिर से निकालकर मेले के मैदान में लाया जाता है। मेले के दौरान, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें भजन-कीर्तन, जागर, और पारंपरिक कुमाऊँनी नृत्य शामिल हैं।


2023 में, मोस्टामानू मेले में भारी भीड़ उमड़ी। मेले में स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश से भी पर्यटक आए। मेले ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया।








मोस्टामानू मेले का इतिहास


मोस्टामानू मेले का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह मेला 16वीं शताब्दी से आयोजित किया जा रहा है। मेले की शुरुआत भगवान मोस्टा के अनुयायियों ने की थी। भगवान मोस्टा एक लोक देवता हैं, जिन्हें क्षेत्र के लोगों द्वारा आराध्य माना जाता है।


मोस्टामानू मेले का स्थान


मोस्टामानू मेला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के चंडाक क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। चंडाक क्षेत्र एक पहाड़ी क्षेत्र है, जो पिथौरागढ़ शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। मेला चंडाक गांव के पास स्थित मोस्टामानू मंदिर में आयोजित किया जाता है।



मोस्टामानू मेले के कार्यक्रम


मोस्टामानू मेले में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मेले के पहले दिन, एक कलश यात्रा का आयोजन किया जाता है। कलश यात्रा में, भक्त एक पवित्र कलश को मंदिर से लेकर मेले के मैदान तक ले जाते हैं। मेले के दूसरे दिन, भगवान मोस्टा की मूर्ति को मंदिर से निकालकर मेले के मैदान में लाया जाता है। मेले के दौरान, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें भजन-कीर्तन, जागर, और पारंपरिक कुमाऊँनी नृत्य शामिल हैं।


मोस्टामानू मेले का महत्व


मोस्टामानू मेला पिथौरागढ़ जिले का एक महत्वपूर्ण आयोजन है। यह मेला स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। मेला स्थानीय लोगों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पर्यटकों के लिए, यह मेला पिथौरागढ़ जिले की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का एक जीवंत प्रदर्शन है।



मोस्टामानू मेले के लिए यात्रा की जानकारी


मोस्टामानू मेले में जाने के लिए, आप पिथौरागढ़ शहर तक हवाई, सड़क या रेल मार्ग से पहुँच सकते हैं। पिथौरागढ़ शहर से चंडाक गांव तक जाने के लिए आप बस, टैक्सी या अपनी निजी गाड़ी ले सकते हैं। चंडाक गांव से मोस्टामानू मंदिर तक की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। आप पैदल या टैक्सी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।



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